श्रमिक संगठनों की हड़ताल : श्रमिक काम-काज छोड़ सड़क पर उतरे, नारे लगाए, मांग पत्र सौंपे

इसी क्रम में बीकानेर के केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर आज हड़ताल के पहले दिन कलेक्ट्रेट परिसर में नारो के साथ परिसर का चक्कर लगाकर विरोध प्रदर्शन किया गया।श्रमिक संगठनों की मुख्य मांगो में - चार लेबर कोड के माध्यम से पंूजीपतियों के हक में बनाई गई श्रम संहिता को समाप्त करना, बैंको में पांच दिवसीय सप्ताह लागू करना, आउटसोर्सिंग बंद करने,
किसी भी प्रकार के सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण का विरोध करना, नई पेंशन योजना को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करना, कृषि उपज के न्यनूतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारन्टी देना, न्यूनतम वेतन प्रतिमाह 26000@- रूपये किया जाना, ठेका प्रथा को समाप्त कर संविदा कर्मचारियों को स्थाई करना। असंगठित क्षेत्र के मजदूरो, श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था करना एवं पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस एवं खाद्य पदार्थो की बढती कीमतों पर रोक लगाकर रोजगार के अवसर बढ़ाया जाना आदि शामिल है।
विरोध प्रदर्शन को केन्द्रीय श्रमिक संंगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया जिसमें केन्द्रीय ट्रेड यूनियन संयुक्त संघर्ष समिति, बीकानेर के जिला संयोजक वाई.के. शर्मा (योगी), ए.आई.बी.ई.ए. से रामदेव राठौड, सीताराम कच्छावा, इंटक से रमेश कुमार व्यास, सीटू से मूलचन्द खत्री, एच.एम.एस. से बृजेश ओझा, राज्य कर्मचारी महासंघ से पृथ्वीराज लेघा, एल.आई.सी. से शौकत अली, एटक से अब्दुलरहमान, जी.आई.सी. से प्रेम भादाणी, राजस्थान मेडिकल एण्ड सेल्स
रिप्रजेन्टेटिव यूनियन से संजय माथुर, बी.एस.एन.एल. से गुलाम हुसैन, कमलसिंह गोहिल कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस रेल्वे से अशोक पुरोहित, अखिल भारतीय हित सभा समिति से गोपाल सिंह राजपुरोहित, राष्ट्रीय किसान मोर्चा से रामगोपाल बिश्नोई तथा सेवा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल रहे।संबोधित करते हुए वाई.के. शर्मा (योगी) ने बताया कि संसद में आम जनता गरीब, दलित, मजदूर व कर्मचारियों और किसानों पर प्रतिनिधित्व न होने के कारण देश के 20 करोड श्रमिक कर्मचारी व किसान अपने जायज हकों की लड़ाई के लिए हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हुआ है।
उन्होने बताया कि सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश की पूंजी आम जनता के हाथों से निकलकर केवल कुछ पूंजिपतियों के हाथ में सिमटती जा रही है। यही कारण है कि देश में महंगाई व बेरोजगारी चरम पर है। देश के लोकतांत्रिक सामाजिक ताने, बाने को नुकसान पहुंचाती हुई सरकारी नीतियों का विरोध करना आवश्यक है।
विरोध प्रदर्शन के बाद आदरणीय राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें संयोजक वाई.के. शर्मा, एआईबीईए. से रामदेव राठौड़,एटक से प्रसन्न कुमार, बी.एस.एन.एल. से गुलाम हुसैन, एल.आई.सी. से शौकत अली, इंटक से रमेश कुमार व्यास एवं हेमन्त किराडू उपस्थित रहे।साथ ही करणी इण्डस्ट्रीयल एरिया के ईटीपी टैंक में दम घुटने से मरे चार मजदूरों के आश्रितों को क्षतिपूर्ति व रोजगार देने के लिए मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को जिला कलेक्टर के मार्फत ज्ञापन सौंपा गया।
विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने भाग लिया, जिसमें जयशंकर खत्री, अशोक सोलंकी, अक्षय व्यास, हरीप्रकाश खत्री, के.के. डागा, सुनील सिंगारिया, सुनीता बिश्नोई, राजबाला सारण, हेम सिंह तंवर, राजेन्द्र कुमार मोदी, छोटूलाल चांवरिया, पूनमचन्द, अम्बर शर्मा, जे.पी. वर्मा, अशोक मीणा, अनुराग सैनी, सुभाष दैया, रामलाल, अनिल मखीजा, मुकुल शर्मा, मयंक सोलंकी सहित अन्य ट्रेड यूनियन के अशोक पुरोहित, महेन्द्र देवडा, मोहम्मद सफी, दिनेश कुमार, विजय कुमार, किशन पारीक, अविनाश व्यास, मोहम्मद इलियास जोईया, मिर्जा हैदर बैग, भुवनेशचन्द मोदी, गोपालदास छंगाणी, आदि उपस्थित रहे।
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