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विकास की आड़ में तोड़फोड़, लोकतंत्र की हत्या और निर्दोषों पर जुल्म_ ग्रामीण*"राजेरा के सैकड़ों घरों में बीडीओ ने चलवाया नियम विरुद्ध पीला पंजा।

शिवरतन सारस्वत।राजेंरा।पिछले एक महीने से अपनी व्यथा का रोना रो रहे ग्राम राजेरा के सैकड़ों घरों में आज प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर भारी तोड़फोड़ कर डाली। पीड़ित ग्रामीणों ने विकास के नाम पर की जा रही विद्वेषपूर्ण कारवाही को अन्यायपूर्ण बताया है। ग्राम पंचायत द्वारा तीन दिवस पूर्व दिए गए चेतावनी नोटिसों की समयावधि पूरी होने से पहले ही की गई इस मनमानी को ग्रामीणों ने कानून की हत्या करार दिया है।उल्लेखनीय है कि नौरंगदेशर से कालू तक पूर्व में बनी सड़क को केंद्रीय कोष(CRIF ) से चौड़ी करने एवं नवीनीकरण का कार्य वर्तमान में चल रहा है। इस कार्य में सड़क को पांच मीटर से बढ़ा कर दस मीटर में बनाया जाना है। उक्त सड़क हेमेरा, शेरेरा, रानीसर आदि में गांव के बाहर से निकली हुई होने के कारण अतिरिक्त जगह की कोई समस्या सामने नहीं आई लेकिन राजेरा में यह पूरे गांव के बीच में टेढ़ी मेढ़ी निकली हुई है तथा पौने चार मीटर का गौरव पथ बना हुआ है। यहां से सड़क निकालने में आसपास के सौ घरों की पट्टेशुदा भूमि एवं मकानों को तोड़ना पड़ रहा है। 

राजेरा के निवासी तथा भाजपा के सोशल मीडिया संभाग प्रभारी कोजुराम सारस्वत ने बताया कि इस मामले में ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक, केंद्रीय मंत्री तथा सार्वजनिक निर्माण विभाग से मुलाकात कर सड़क को गांव से बाईपास निकालने का आग्रह भी किया है। बाईपास में एक ओर ग्रामीणों को नुकसान से राहत मिलती हैं वहीं विभाग को भी एक किमी लंबाई में सड़क का कम निर्माण करना होता। ग्रामीणों की यह आवाज स्थानीय से प्रदेश स्तर तक पहुंचाने के बाद भी विद्वेषता वाली कारवाही से ग्रामीण आक्रोशित है।हाल ही में ग्राम पंचायत ने इसके दायरे में आने वाले छ सात दर्जन घरों को अतिक्रमण करार देते हुए तीन दिन में जवाब देने के नोटिस जारी किए थे लेकिन इसकी अवधि पूरी होने से पहले ही विकास अधिकारी बीकानेर ने आज जेसीबी चलाकर पट्टेशुदा घरों में विध्वंसक कारवाही कर डाली।
ग्रामीणों ने अपने दशकों पुराने पट्टे एवं पीढ़ियों से बने मकान दिखाते हुए अवगत भी करवाया था कि हम लोग अतिक्रमी नहीं बल्कि अधिकृत स्वामित्व वाले है। पंचायत द्वारा काटी गई बीस फुट की गली में कोई कब्जा हो तो भले ही गिरा दें लेकिन इनकी एक भी नहीं सुनी गई। कुछ लोगों ने नोटिसों के ज़बाब में संपूर्ण दस्तावेज सहित उचित जवाब भी प्रस्तुत किया है लेकिन कानून से परे जाकर आज तोड़फोड़ कर दी गई है।पीड़ित ग्रामीण आदि ने हताश मन से इस कारवाही को निर्दोष लोगों पर प्रशासन का कहर करार देते हुए बेबसी जाहिर की है। लोगों ने बदले की भावना से प्रेरित इस कदम को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा कि सुनवाई का अवसर दिए बिना तो अतिक्रमण के खिलाफ भी ऐसी गैर कानूनी कारवाही नहीं की जाती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी कारवाहियों पर दिशा निर्देश जारी करते हुए विधिपूर्ण तरीके से तोड़फोड़ की प्रक्रिया निर्धारित की है लेकिन यहां सभी कायदे कानून ताक में रखते हुए कानून का भी मखौल उड़ा दिया गया है।केंद्रीय सरकार आवास योजनाओं के माध्यम से गरीबों के लिए मकान की व्यवस्था कर रही है लेकिन यहां क्षति भुगत चुके परिवारों में अनेकों ऐसे दलित परिवार भी है जिनके सिर से आशियाना ही छीना जा रहा है ।

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