सावन के पहले सोमवार को पंचमुखी रुद्राक्ष से बने 18 फीट शिवलिंग का करे दर्शन
बीकानेर। भुजिया और नमकीन के लिये ख्यातनाम बीकानेर जहां अपने कला संस्कृति के लिये पहचाना जाता है वहां धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर भी हमेशा ही चर्चा में रहता है। बात चाहे धार्मिक पर्वों की हो या मेला मेगरियो की बीकानेर अपनी अनूठी पहचान प्रदेश व देश में रखता है और जब बात सावन की आएं तो यहां एक माह तक ऐसे आयोजन होते है जो अपने आप को ओर से अलग कहलाने का मजबूर कर देते है।
इन दिनों बीकानेर स्थित वैष्णोधाम मंदिर में रूद्राक्ष से बना शिवलिंग आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 18 फीट ऊंचा शिवलिंग इस शिवलिंग को गुजरात के आठ पंडितों ने मिलकर पंचमुखी रुद्राक्ष से तैयार किया गया है। सावन मास समाप्त होने के साथ ही ये सभी रुद्राक्ष श्रद्धालुओं में वितरित कर दिए जाएंगे।गुजरात के आठ पंडित पिछले दिनों बीाकनेर आए और वैष्णोधाम मंदिर में शिवलिंग बनाने की इच्छा जताई। इस पर मंदिर प्रशासन ने अनुमति दे दी।
मंदिर के मुख्यद्वार पर ही वापी गुजरात से आए पंडितों ने शिवलिंग बनाने का काम शुरू किया और आठ दिन में इसे तैयार कर दिया। सावन मास से पहले ही शिवलिंग बनकर तैयार हो गया। 18 फीट ऊंचे शिव लिंग पर जलधारा से अभिषेक करने के लिए बकायदा लोहे की सीढिय़ां लगाई गई है। तीन पंडित हर वक्त यहां जलाभिषेक करते समय मंत्रोचारण करते हैं। इनको बनाने में 15 दिन का समय लगा।
पंडित चिरंजनभाई शास्त्री ने बताया कि न्याय ज्योति चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से शिवलिंग बनाने का काम किया जाता है। ये संस्था आदिवासी और गरीब परिवारों के लिए काम करती है। शिवलिंग पर आने वाली धनराशि उन्हीं के काम आएगी। हर साल किसी न किसी शहर में इसी तरह शिवलिंग बनाया जाता है।
नेपाल के हैं रुद्राक्ष शास्त्री ने बताया कि ये पंचमुखी रुद्राक्ष नेपाल से लिए गए हैं। एक एक रुद्राक्ष को पूजन के बाद शिवलिंग के रूप में चढ़ाने का काम हुआ है। करीब साढ़े छह लाख रुपए की लागत से ये शिवलिंग तैयार किया गया है। सावन खत्म होने के बाद ये रुद्राक्ष भक्तों में वितरित कर दिए जाएंगे। इसके लिए कोई भी भक्त यहां अपना नाम और पता लिखवा सकता है। सावन के बाद इन्हें प्रसाद के रूप में भक्तों के घर पहुंचा दिया जाएगा। मंदिर से भी भक्त ले सकते हैं।
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