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पाँचवीं ऑनलाईन श्रीमद्भगवद्गीता-ज्ञान-प्रश्नोत्तरी के विजेता हुए पुरस्कृत

बीकानेर, 16 जुलाई 2022। श्रीमती शशिबाला मित्तल स्मृति चेरिटेबल ट्रस्ट, बीकानेर ब्रह्मलीन श्री कैलाशचन्द्र गंगल की स्मृति में आयोजित पाँचवीं ऑनलाईन श्रीमद्भगवद्गीता-ज्ञान-प्रश्नोत्तरी के विजेताओं का पुरस्कार वितरण समारोह श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर, शिवमठ, शिवबाड़ी में सम्पन्न हुआ।
 ट्रस्ट के अध्यक्ष विवेक मित्तल ने बताया कि 10 से 15 वर्ष, 16 से 20 वर्ष एवं 21 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 17 प्रतिभागियों को स्वामी समानन्दगिरि जी, स्वामी विमर्शानन्दगिरिजी, सुरेश मित्तल द्वारा पुरस्कार एवं प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर प्रतिभागी मानिनी दाधीच ने 15वें अध्याय का सस्वर वाचन किया, मुन्नीराम सोनी ने श्लोक वाचन करते हुए गीताजी की महिमा के बारे में बताते हुए कहा
 कि जो गीता अर्जुन को एक बार ही सुनने को मिली वही गीता में बारम्बार सुनने को मिल रही है इससे यह सिद्ध होता है कि भगवान की कृपा हम पर अर्जुन से भी ज्यादा है। गीता के 12 यज्ञों का उल्लेख किया गया है जिसमें सबसे श्रेष्ठ ज्ञान यज्ञ को बताया है। श्री सप्तमातृका नार्मदीय वेद सेवा मठ, महेश्वर के महन्त श्री समानन्दगिरि जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जैसे-जैसे हम अपने जीवन में गीताजी को उतारेंगे, गीताजी के अनुसार जीवन जीने लगेंगे तो हमारा जीवन सरस और सरल बन जायेगा। 
जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण स्वयं गीताजी का आधार लेकर इस सृष्टि का पालन कर रहे हैं हमें भी उसका अनुसार करके जीवन की जीना चाहिए। श्रीलालेश्वर महादेव मन्दिर, शिवमठ, शिवबाड़ी के महन्त स्वामी विमर्शानन्दगिरि जी ने कहा कि गीता के प्रत्येक श्लोक में मन्त्रात्मक शक्ति है। गीता के पहले श्लोक में ही धर्म के बारे में बताया गया है। धर्म के मार्ग पर चल कर ही हम श्रेष्ठ मानव बन सकते हैं। इसके लिए जीवन में सद्गुणों का होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
 जिसका ज्ञान हम गीता को अपना प्राप्त कर सकते हैं। इससे पूर्व ट्रस्ट और गीता ज्ञान परीक्षा की संक्षिप्त जानकारी देते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष विवेक मित्तल ने कहा कि जब-जब हमारे जीवन में, समाज में नैतिक मूल्यों का पतन होने लगता है, संवेदनाएँ टूटने लगती हैं, अराजकता और आसुरी शक्तियों का कोलाहल बढ़ने लगता है तो गीताजी को माध्यम बनाकर इन जैसी सभी कठिनाइयों, बाधाओं को पार किया जा सकता है।
 इसके लिए सन्त-महात्मा गीताजी और हमारे बीच सेतू का कार्य करते हैं। हमारे अन्दर सुसुप्त पड़ी चेतना को जागृत करते हैं। समाज में सभी आयुवर्गों के लोगों में गीताजी पहुँचे इसी उद्देश्य से गीता ऑन-लाइन परीक्षा आरम्भ की गई है। रमेश जोशी ने स्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज और ब्रह्मलीन कैलाश चन्द्र गंगल के व्यक्तित्व के बारे में जानकारी दी। राजीव मित्तल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सुरेश कुमार मित्तल, हरनारायण खत्री, डॉ. अभय सिंह टाक, घनश्याम साघ, भवानी शंकर, श्रीमती मंजुलता शर्मा, चन्द्रशेखर शर्मा आदि गणमान्यजन उपस्थित थे।

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