अठाहरवें दिन गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा राजपुरा हुड्डान, करणीसर, मनाफरसर और धीरदान गांवों में जनजागृति हेतु पहुँची।
बीकानेर । अठाहरवें दिन गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा राजपुरा हुड्डान, करणीसर, मनाफरसर और धीरदान गांवों में जनजागृति हेतु पहुँची।यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक गौभक्त चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने कहा कि लंपी से बहुत गायें गौलोक सिधार गयी है। सरकार के अधिकारियों, कृषि विशेषज्ञों, पर्यावरण विद्वानों और जैविक खेती के प्रचारकों के लिए यह चिंता का विषय बन रहा है कि बिना गाय के जैविक खेती कैसे होगी, लंपी काल मे गायों के मरने से गोबर की खाद के बिना धरती में अनिवार्य कार्बनिक तत्वों की पूर्ति कैसे होगी, इसका एक ही उपाय है देशी गौवंश का संरक्षण और गौपालकों को मुआवजा जल्दी से जल्दी मिले। बेरोजगार हुए गौपालकों को मुआवजा राशि के साथ साथ उनको नई गायें खरीदने के लिए सब्सिडी भी दें।
यात्रा के प्रदेश संयोजक गोस्वामी शीशपाल गिरि ने कहा कि गांवों में लंपी बीमारी से गौपालकों के गायों के बाड़े खाली हो गए, खूँटे सुने पड़े हैं लेकिन बाजार की मांग को पूरा करने के लिए मिलावटी दूध की भरमार हो रही है। सरकार ध्यान नही दे रही है, इससे प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर हो रहा है। गौपालकों की रोजी-रोटी हमेशा के लिए खत्म करने की साजिश हो रही है। केंद्र एवं राज्य सरकारों से अपील है कि वह गौहित में कदम उठाएं।
यात्रा के आयोजक एडवोकेट विनोद आर्य ने कहा कि सरकार एवं प्रशासन को अब सम्भल जाना चाहिये, गौपालक एवं गौप्रेमी अब जागरूक हो रहे हैं, गांवों और ढाणियों से लोग सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन के लिए तैयारी शुरू कर चुके हैं।
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