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भारतीय क़ृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली के अधीन कार्यरत संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर के क्षेत्रीय केंद्र मरू क्षेत्रीय परिसर।

उदयपुर।भारतीय क़ृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली के अधीन कार्यरत संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर के क्षेत्रीय केंद्र मरू क्षेत्रीय परिसर, बीकानेर द्वारा आज बुधवार को ऋषभदेव तहसील के माननीय उदयपुर लोकसभा सांसद श्रीमान अर्जुन लाल मीना के अपने ग्राम मसारो की ओवरी मे भेड़ -बकरी पालन पर किसान -वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है l जिसमे संगोष्ठी कार्यक्रम मैं मुख्य अतिथि डॉ अरुण कुमार तोमर, निदेशक, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसन्धान संस्थान, अविकानगर साथ मे कार्यक्रम मे सह -आयोजक क़ृषि विज्ञान केंद्र, बड़गाव, उदयपुर के प्रभारी डॉ प्रफुल चंद्र भटनागर, श्रीमान डॉ. मणिलाल सेवानिवृत्त रेडियोलॉजिस्ट, श्रीमान डॉ. महेश मिश्रा, श्री हरीजी मीना विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया l कार्यक्रम मे विशिष्ट अतिथि के रूप मे प्रभारी डॉ निर्मला सैनी, डॉ आशीष चोपड़ा, डॉ गणेश सनावने टीएसपी नोडल अधिकारी अविकानगर अपने वैज्ञानिक अनुभव से आदिवासी किसानो को करेंगे लाभान्वित l कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अरुण कुमार तोमर ने कार्यक्रम में उपस्थित आदिवासी किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि भेड़-बकरी गरीबों के पशु हैं जिनको आदिवासी महिला व पुरुष किसान पालकर अपनी आजीविका आसानी से चला सकता है l इसलिए मेरा आदिवासी भाई व बहनो से निवेदन है कि छोटे पुश भेड़ व बकरी चलते फिरते एटीएम है जिनसे किसी भी समय मांस, मनी व मिल्क प्राप्त किया जा सकता है l ओर अन्य पुश की अपेक्षा कम से कम संसाधन मे पाला जा सकता है l इसलिए आदिवासी किसान क़ृषि व पशुपालन के माध्यम से अपनी आजीविका कमा कर आत्मनिर्भर भारत के विकास मे सहयोग करें l भेड़ व बकरी पर संचालित राष्ट्रीय पशुधन मिशन मे भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के माध्यम से अपने व्यवसाय को एग्रीटेक में बदले l kvk इंचार्ज डॉ भटनागर ने भी आदिवासी किसानो को आर्गेनिक फार्मिंग पर जोर देते हुए इंटेग्राटेड फार्मिंग अपनाने पर बल दिया l जिससे आदिवासी किसानो को क़ृषि, बागवानी व पशुपालन के माध्यम से सालभर कमाई होती रहे l कार्यक्रम में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों ने भी फंक्शन को संबोधित किया और संस्थान का ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने के लिए सभी आदिवासी किसान भाइयों को प्रेरित किया l तथा वर्तमान मे पशुपालन को वैज्ञानिक तरीक से करते हुए ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाए l इसलिए भेड़ -बकरी की सही नस्ल का चयन, पोषण प्रबंधन, चारा प्रबंधन, स्वास्थ्य प्रबंधन, से वर्ष भर मौसम आधारित प्रबंधन तथा नियमित टीकाकरण से छोटे पुश मे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लिया जा सकता है l कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों द्वारा 50 आदिवासी किसानों को पानी की बोतल, छाता, टोर्च,प्लास्टिक बाल्टी आदि भेड़- बकरी के पालन के लिए आवश्यक सामान तथा 25 आदिवासी किसानों को फेंसिंगमय टीनशेड सामान (दो लोहे की जाली के बंडल, 4 लोहे के पाइप व 5 आयरन शीटस) ओवरी पंचायत व उसके पास की पंचायत के लाभार्थियों को कार्यक्रम के अतिथियों द्वारा निशुल्क वितरित किया गया l उपरोक्त कार्यक्रम मे 50 आदिवासी महिला व पुरुष किसानो ने भाग लेकर भेड़ व बकरी पालन पर विस्तार से जानकारी संस्थान के वैज्ञानिक द्वारा दी गई lकार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ अमर सिंह मीना वरिष्ठ वैज्ञानिक, श्री मुकेश चोपड़ा, श्री प्रदीप आदि ने भी पूरा सहयोग किया l

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