गुरु पूर्णिमा के अवसर पर धार्मिक स्थलों पर हुए कार्यक्रम।
राकेश कुमार पंवार।चानी/कोलायत।सोमवार को आषाढ़ माह की गुरु पूर्णिमा के दिन अलसुबह ही महिलाओ द्वारा गांव में बने शिव मंदिर पर हरजस व गुरु महिमा के भजन गए, इस बड़े बुजर्गो ने बताया की वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.पूरे भारत में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है. गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित है क्योंकि आज के दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है।आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन ही महर्षि वेद व्यास का आज से करीब 3000 वर्ष पूर्व जन्म हुआ था. मान्यता है कि उनके जन्म पर ही गुरु पूर्णिमा जैसे महान पर्व मनाने की परंपरा को शुरू किया गया।गुरु पूर्णिमा महोत्सव पूरी तरह से महर्षि वेदव्यास को समर्पित है. हिंदी पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
No comments