अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस: एसकेआरएयू के विभिन्न संघटक महाविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित।
बीकानेर, 21 फरवरी। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर शुक्रवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न संघटक महाविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। विश्वविद्यालय की राजभाषा सम्पर्क अधिकारी व कार्यक्रम की संयोजक डॉ सीमा त्यागी ने बताया कि कुलपति डॉ अरुण कुमार के निर्देशन में सभी महाविद्यालयों में कार्यशालाएं, संगोष्ठी, प्रतियोगिताएं और प्रायोगिक सत्र आयोजित कर मातृ भाषा के सक्रिय प्रयोग करते हुए अपनी सांस्कृतिक धाती के संरक्षण का संदेश दिया गया। कृषि महाविद्यालय बीकानेर, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय, आईएबीएम,
कृषि महाविद्यालय श्रीगंगानगर, कृषि महाविद्यालय मंडावा सहित सभी महाविद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को मातृ भाषा बोलने तथा लिखने हेतु प्रोत्साहित किया गया।आईएबीएम में आयोजित कार्यक्रम में डॉ अदिति माथुर ने कहा कि मातृ भाषा हमारी सांस्कृतिक पहचान और धरोहर है। पूरी दुनिया में मातृ भाषा के प्रति प्रेम और गौरव का भाव लाने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। राजस्थानी भाषा मरुभूमि की पहचान है। हमें जीवन इसे अपनाते हुए अगली पीढ़ी को यह विरासत सौंपनी है। भाषा का सांस्कृतिक हस्तांतरण इसके अधिक से अधिक प्रयोग में समाहित है।
आज जब विभिन्न अनुसंधान और शोध में अंग्रेजी जैसी भाषाओं का उपयोग अधिक हो रहा है। ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर हमें अपनी मातृभाषा के प्रति गौरवान्वित रहने का संकल्प लेना है और अगली पीढ़ी को यह विरासत सौंपने के लिए इसका अधिक से अधिक प्रयोग करना है। सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में डॉ ममता सिंह ने कहा कि गांधीजी द्वारा प्रतिपादित बुनियादी शिक्षा का विचार के अनुसार पहली शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव है जब हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें।
उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा से जुड़े रहने का आह्वान किया।कार्यक्रमों में विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।डॉ त्यागी ने बताया कि विद्यार्थियों को इस दिवस का महत्व समझाते इसके उद्देश्यों की जानकारी दी गई।बहुभाषावाद और अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूनेस्को द्वारा 1999 से प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
आज जब विभिन्न अनुसंधान और शोध में अंग्रेजी जैसी भाषाओं का उपयोग अधिक हो रहा है। ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर हमें अपनी मातृभाषा के प्रति गौरवान्वित रहने का संकल्प लेना है और अगली पीढ़ी को यह विरासत सौंपने के लिए इसका अधिक से अधिक प्रयोग करना है। सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में डॉ ममता सिंह ने कहा कि गांधीजी द्वारा प्रतिपादित बुनियादी शिक्षा का विचार के अनुसार पहली शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव है जब हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें।
उन्होंने विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा से जुड़े रहने का आह्वान किया।कार्यक्रमों में विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।डॉ त्यागी ने बताया कि विद्यार्थियों को इस दिवस का महत्व समझाते इसके उद्देश्यों की जानकारी दी गई।बहुभाषावाद और अंतर-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूनेस्को द्वारा 1999 से प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
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