बीटीयू में एआईसीटीई के नवाचार और राष्ट्रिय शिक्षा निती विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित
बीकानेर, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के यूनिवर्सटी ऑफ़ इंजीनियरिंग एन्ड टेक्नोलोजी, बीकानेर में देश में तकनीकी शिक्षा का नियमन करने वाले अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद दुवारा किया गए नवाचारो के विषय पर एआईसीटीई के सदस्य सचिव और एक्सपर्ट प्रो. राजीव कुमार की मुख्य आथित्य में सम्प्पन हुआ। सहायक जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया की कुलपति प्रो.एच.डी.चारण चारण ने
वही दुसरी और बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, नीति आयोग व अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा निती के समन्वयन में शिक्षकों की भूमिका विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से उच्च शिक्षा के जुड़े हितधारको ने भाग लिया, कार्यक्रम का आरंभ श्री राजेंद्र गुर्जर ने मंत्रोच्चारण द्वारा किया| कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी केशवानंद विश्विद्यालय के कुलपति आर पी सिंह ने अपने संबोधन में कहा शिक्षक सरकार और विद्यार्थियों के बीच की प्रमुख कड़ी है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल समन्वयन को साकार रूप दे सकती है| कार्यक्रम के मुख्य वक्ता उमाशंकर पचौरी अखिल भारतीय महामंत्री भारतीय शिक्षण मंडल ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन है जो नई शिक्षा नीति के रूप में आया है उन्होंने बताया की इस कार्यक्रम के माध्यम से फीडबैक फॉर्म द्वारा शिक्षकों के विचारों को एकत्र कर नीति आयोग तक पहुंचाया जाएगा जिससे नई शिक्षा नीति को सुचारू रूप से लागू किया जा सकेगा क्योंकि शिक्षक विद्यार्थी से सीधा जुड़ाव रखता है इसीलिए उसके विचार अत्यधिक महत्वपूर्ण है अन्यथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक ड्राफ्ट का रूप ही बनकर रह जाएगी। कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एचडी चारण ने कहा की आवश्यकता है की कौशल आधारित शिक्षा को मूल्य आधारित कौशल शिक्षा का रूप देने की। जिसमें शिक्षक की अहम भूमिका है आवश्यकता है शिक्षक आत्म चिंतन करें कि क्या वह पूर्ण आस्था के साथ अपना कार्य कर रहा है यदि शिक्षक निस्वार्थ भाव से अपने कार्य को करें तो निश्चित तौर पर मूल्य आधारित शिक्षा का प्रचार प्रसार होगा और यही समय की मांग है।श्री मुकुल कांति कर राष्ट्रीय ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री अखिल भारतीय शिक्षण मंडल वीडियो द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए उन्होंने बताया की अंग्रेजों की गुलामी के दौरान भारत की शिक्षा नीति को ऐसा रूप दे दिया गया जिससे युवा रोजगार देने की बजाय रोजगार मांगने की सोच रखने लगे। 34 वर्षों बाद आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को फिर से विश्व शक्ति के रूप में उभारेगी और तक्षशिला जैसे शिक्षण संस्थान फिर से भारत मैं आएंगे और शिक्षा के क्षेत्र में भारत पूर्व की भांति श्रेष्ठ बनेगा। अकादमिक के निदेशक डॉ वाय एन सिंह ने बताया की यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में भारत के सांस्कृतिक मूल्यों को फिर से उजागर करेगा। कार्यक्रम की संचालिका डॉक्टर ममता शर्मा पारीक ने कहा कि इस मंच के माध्यम से शिक्षकों के विचारों को नीति आयोग तक पहुंचा कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समन्वयन में में सही मायने में शिक्षकों की भूमिका निभाई जा रही है। कार्यक्रम के अंत में प्रबंधन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ उमा भदौरिया ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया |
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