*विकास हर्ष द्वारा की गई अनियमितता को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय गम्भीर, तलब की रिपोर्ट*
सेवानिवृत्ति के बाद पिछले 2 सालों से संविदा पर कार्य कर रहे सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सेवानिवृत्त सहायक निदेशक विकास हर्ष द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं और पदीय दुरुपयोग की शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय ने अब सख्त रुख इख्तियार कर लिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सभी शिकायतों को गम्भीरता से लेते हुए अविलम्ब रिपोर्ट तलब की है। हर्ष के विरुद्ध एक प्लेसमेंट एजेंसी के साथ मिलकर राजस्थान संवाद के तहत लगभग पांच लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता करने, भाजपा समर्थित एक फर्म को 30 हजार रुपये का फालतू भुगतान करने, संविदा वाहन चालक की अमानत राशि बेवजह जब्त करते हुए लगभग ढाई साल तक उसे राजकोष में जमा नहीं करवाने तथा कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद महामारी के क्वारेंटाइन नियमों की अवहेलना करने जैसे गम्भीर आरोप लगे हैं। वहीं पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के दौरान पत्रकारों को दिए गए लेपटॉप में से एक लेपटॉप गबन करने, असक्षम होने के बावजूद सरकारी लैंडलाइन फोन का उपयोग करने, सूचना का अधिकार के तहत सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाने, सरकारी नियमों को ताक पर रख विभिन्न कार्यालयों के कार्मिकों को जनसम्पर्क कार्यालय में लंबे समय तक प्रतिनियुक्ति पर रखने और सरकारी वाहन का नियम विरुद्ध उपयोग करने जैसी शिकायतें भी की हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इस पर संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जनसम्पर्क आयुक्त से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। पूर्व में जिला कलेक्टर द्वारा लगभग 5 महीने पहले जिला परिषद के तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेंद्रपाल सिंह को समूचे प्रकरण की जांच सौंपी थी, लेकिन इसे आगे नहीं बढ़ने दिया गया। अब जांच का यह जिन्न बड़े स्तर पर बाहर आया है। इसने हर्ष की मुसीबतें बढ़ा दी हैं और संविदा अवधि एक बार और बढाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। हर्ष का वर्तमान संविदा अवधि 3 मार्च को समाप्त हो रही है। हालांकि अनुबंध की शर्तों के मुताबिक इस बार फ़ाइल जनसम्पर्क मंत्री डॉ. रघु शर्मा की अनुमति के बाद ही आगे बढ़नी है।




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