गलीचा ऊन उत्पादन, विपणन तथा धागा निर्माण की समस्याओं पर परिचर्चा
दिनांक 23.04.2022 को भा. कृ. अ.प.- केन्द्रीय भेड एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, मरुक्षेत्रीय परिसर में गलीचा ऊन संबंधी समस्याओं तथा संभावनाओं पर ऊन से सबंधित सभी स्टेक होल्डरों की चर्चा हुई।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. एस के गर्ग, कुलपति, राजुवास ने की। प्रो.एस के गर्ग ने आने वाले समय में गलीचा ऊन उत्पादन की घटती मात्रा पर चिंता व्यक्त करते हुए किसान भाइयों से नई विकसित नवाचारों को अपनाकर ऊन उत्पादन बढाने की संभावनाओं पर अपने विचार व्यक्त किए।
डाॅ. अरुण कुमार तोमर, निदेशक, भा. कृ. अ.प. केन्द्रीय भेड एवं ऊन अनुसंधान केन्द्र, अविकानगर ने भेड़ पालन के तौर तरीको को बदलने पर जोर दिया।
चरागाह की कमी को देखते हुए भविष्य में स्टाल फीड करके भेड़ को सीमित क्षेत्र मे पालकर आमदानी बढ़ाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से ऊन से संबंधित व्यक्तियों ने ऑनलाईन के माध्यम से जुड़कर उतराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, श्रीनगर, एवं सिक्किम क्षेत्र सम्बंधित ऊन उत्पादन समस्याओं पर अपने विचार व्यक्त किये।
डाॅ. ए. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर ने भेड़ पालन को वैज्ञानिक तरीके से पालने और आमदानी बढ़ाने पर जोर दिया।
डाॅ एच. के. नरुला, प्रभागाध्यक्ष ने गलीचा ऊन उत्पादन की भारतवर्ष मे संभावनाओं तथा मरुक्षे़त्रीय परिसर में भेड़ पालन संबंधी योजनाओं पर विस्तृृत चर्चा की।
अविकानगर से आये प्रधान अजय कुमार ने अनुपयोगी मोटी ऊन को गलीचा हेतु उपयोगिता बनाने वाली तकनीकी का प्रदर्शन, लाभ व गलीचा घागे के निर्माण के सभी स्टेक होल्डर के हित वाले लाभ की जानकारी प्रदान की।
इस परिचर्चा में ऊन मंडी के व्यापारी गण, ऊन फेक्ट्री से जुड़े लोग, अन्य अधिकारियों ने अपनी समस्याओ पर विचार रखे। कार्यक्रम में श्री रमेश तांबिया, डीडीएम, नाबार्ड, श्री अनुराग पुरोहित, सुपरवाइजर, सीडब्ल्यूडीबी, जोधपुर,
श्री राजेश सहारण, उरमूल ट्रस्ट ने ऊन उत्पादन संबंधी ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा की । श्री श्याम सुन्दर, ऊन मंडी तथा श्री अशोक सुराणा, राजेशकल्ला, लक्ष्मी वूलन मिल ने भी गलीचा ऊन उत्पादन के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।




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