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एनआरसीसी में अंतर्राष्‍ट्रीय सेमीनार तहत ऊँटों की उभरती बीमारियों पर वैश्विक चिंतन-अंतर्राष्‍ट्रीय सेमीनार

बीकानेर 25 अप्रेल 2022 । भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय उष्‍ट्र अनुसंधान केन्‍द्र, बीकोनर (एनआरसीसी) में आज ‘इमेर्जिंग एण्‍ड रि-इमेर्जिंग डीजिज् ऑफ कैमल्‍स्’ विषयक अन्‍तरर्राष्‍ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया गया जिसमें बतौर विशेषज्ञ अतिथि वक्‍ता डॉ. अशोक कुमार, सहायक महानिदेशक (पशु स्‍वास्‍थ्‍य), आईसीएआर, नई दिल्‍ली एवं डॉ. अब्‍दुलमलिक खलाफला, प्रोफेसर (माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ), आबूदाबी,
 यूएई ने क्रमश: ‘करंट एपेडेमिलॉजिकल स्‍टेटस ऑफ जूनोटिक डीजिज् इन कैमल्स्’ एवं ‘इमेर्जिंग एण्‍ड रि-इमेर्जिंग डीजिज् ऑफ ड्रोमेडरी कैमल्‍स्’ विषयक व्‍याख्‍यान प्रस्‍तुत किए। एनआरसीसी में ऑनलाईन/ऑफलाईन आयोजित इस सेमीनार में देशभर से लगभग 138 विषय संबद्ध वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, पशु चिकित्‍सकों एवं पशु चिकित्‍सा विज्ञान संकाय के विद्यार्थी गणों ने भाग लिया।  
इस अवसर पर डॉ.अशोक कुमार ने कहा कि आज जूनोटिक बीमारियों संबंधी विस्‍तृत जानकारी उपलब्‍ध होने के अलावा इस पर काफी अनुसंधान भी किया जा रहा है। इस आधार पर काफी सारी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है, इससे समय पर उपयुक्‍त ईलाज में मदद मिल सकेगी ।
 डॉ. अशोक कुमार ने जोर दिया कि मानव स्‍वास्‍थ्‍य वैज्ञानिक विशेषज्ञों एवं वेटनेरियन को समन्‍वयात्‍मक अनुसंधान के तहत ‘वन हेल्‍थ मॉडल’ पर काम करना चाहिए। उन्‍होंने ऊँटों से संबंधित विभिन्‍न जूनोटिक बीमारियों जैसे कि- ब्रुसेलोसिस, टीबी, रैबिज इत्‍यादि के संबंध में एपिडेमोलॉजिकल स्थिति को प्रस्‍तुत किया।     
इस सेमीनार से ऑनलाईन रूप से जुड़े अतिथि वक्‍ता डॉ. अब्‍दुलमलिक खलाफला ने ऊँट संबंधी उभरती वैश्विक बीमारियों के प्रकोपों की गहन जानकारी देते हुए कहा कि इन प्रकोपों के अध्‍ययन एवं इनकी पहचान के आधार पर भावी प्रकोपों से समयबद्ध नियन्‍त्रण किया जा सकता है। 
उन्‍होंने उभरती बीमारियों जैसे मिडल ईस्‍ट रेस्‍पायरेटरी सिन्‍ड्रोम-कोराना वायरस, मुमड़ी रोग, पांव, खाज-खुजली आदि पर विस्‍तृत रूप से प्रकाश डाला।कार्यक्रम के अध्‍यक्ष एवं केन्‍द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्‍धु साहू ने आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय सेमीनार में विशेषज्ञों द्वारा प्रस्‍तुत व्‍याख्‍यानों को महत्‍वपूर्ण बताते हुए कहा कि प्रदत्‍त जानकारी निश्चित रूप से जूनोटिक बीमारियों को रोकने एवं ऊँटों में उभरते रोगों के निदान में कारगर सिद्ध हो सकेगी।
 डॉ.साहू ने इस बात की अपेक्षा जताई कि समय-समय पर ऐसी संगोष्ठियों आदि के माध्‍यम से आमजन में जागरूकता एवं ज्ञान के प्रसार की महत्‍ती आवश्‍यकता है । उन्‍होंने प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में गहन शोध हेतु विशेष रूप से प्रोत्‍साहित किया।
इस अवसर पर अतिथि के रूप में डॉ. एस.सी.मेहता, अध्‍यक्ष, भाकृअनुप-राष्‍ट्रीय अश्‍व अनुसंधान केन्‍द्र ने भी अपने विचार रखें। सेमिनार के समन्‍वयक डॉ.राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक ने कार्यक्रम के उद्देश्‍य व महत्‍व पर प्रकाश डाला। डॉ.श्‍याम सुन्‍दर चौधरी, कार्यक्रम समन्‍वयक ने इस सेमिनार का संचालन किया तथा धन्‍यवाद ज्ञापित किया। 
सेमिनार से पूर्व डॉ. अशोक कुमार, एडीजी द्वारा केन्‍द्र में ‘पॉलीक्लिनिक’ का उद्घाटन किया गया एवं थार शोभा ‘खेजड़ी’ का पौध रोपण भी किया गया।
अंतर्राष्‍ट्रीय सेमिनार के दौरान ही एनआरसीसी द्वारा आयोजित एवं एस.ई.आर.बी. द्वारा प्रायोजित 7 दिवसीय (19-25 अप्रेल) ‘रिसेंट एडवांसेज् इन डायग्नोस्टिक एण्ड मैनेजमेंट ऑफ जूनोटिक डीजिज’ विषयक कार्यशाला का समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया तथा प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।

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