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शिवजी की उपासना से अंतरमन की शक्ति जागृत होती है। दुख-कष्ट दूर होते हैं।

श्रीडूंगरगढ़/बीकानेर (तोलाराम मारू)भक्ति में शुरुआत से ही रम जाए तो बुढ़ापा सार्थक होगा। शिवजी की उपासना से अंतरमन की शक्ति जागृत होती है। दुख-कष्ट दूर होते हैं। भोले दया के सागर है। बहुत जल्द प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। सोमवार को कथा वाचक पंडित चंद्रमोहन पंचारिया ने शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया।
 प्रसंग सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी भी सजाई गई। शिव पार्वती विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि पर्वतराज हिमालय की घोर तपस्या के बाद माता जगदंबा प्रकट हुईं और उन्हें बेटी के रूप में उनके घर में अवतरित होने का वरदान दिया। इसके बाद माता पार्वती हिमालय के घर अवतरित हुईं। 
एक दिन पर्वतराज के घर महर्षि नारद पधारे और उन्होंने भगवान भोलेनाथ के साथ पार्वती के विवाह का संयोग बताया। उन्होंने कहा कि नंदी पर सवार भोलेनाथ जब भूत-पिशाचों के साथ बरात लेकर पहुंचे तो उसे देखकर पर्वतराज और उनके परिजन अचंभित हो गए, लेकिन माता पार्वती ने खुशी से भोलेनाथ को पति के रूप में स्वीकार किया।
 विवाह प्रसंग के दौरान शिव-पार्वती विवाह की झांकी पर श्रद्धालुओं ने पुष्प बरसाए। इस दौरान बड़ी संख्या में मातृशक्ति मौजूद रही। 
महाशिवपुराण कथा के कमेटी पूर्णाराम गोदारा राम गोदारा मांगीलाल भादू कुंभाराम सारण रामकिशन महिया वरिष्ठ पत्रकार शिवराज सिंह चौहान श्री पप्पू दर्जी नारायण पावणा भीखाराम ग्वाला जगदीश प्रसाद दर्जी एवं समस्त ग्रामवासी भक्तगण मोजूद रहे।

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