*संस्कारों की सौगात - सामायिक कार्यशाला: अमरनगर जोधपुर।
जोधपुर।आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री सत्यवती जी ठाणा- 3 के सानिध्य में तेरापंथ युवक परिषद सरदारपुरा द्वारा संस्कारों की सौगात कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद से जितेंद्र गोगड़ व सुनील बैद द्वारा सुमधुर गीतिका के संगान द्वारा किया गया।
साध्वी शशिप्रज्ञा जी ने सामयिक अनुष्ठान के बारे में बताते हुए बताया की सामायिक समता की साधना है | समता के भाव से व्यक्ति प्रसन्न रह सकता है और अगर समता नहीं है तो असंख्य पदार्थ भी प्रसन्नता नहीं ला सकते है | समता की साधना के साथ आवश्यकता है संस्कारों की जागरण की। हम चित्र को नहीं चरित्र को सुंदर बनाने पर अपने श्रम का नियोजन करे।
साध्वी श्री पुण्यदर्शना जी ने कहानी के माध्यम से बताया कि मानव जीवन की पहचान व्यक्ति के संस्कारों से होती है ।कुछ संस्कार नैसर्गिक होते हैं और कुछ ग्रहण किए जाते हैं। प्रेम, विनम्रता, संस्कार और सौहार्द इस जीवन रूपी भवन के चार स्तंभ है। जीवन में इन चारों स्तंभों की मजबूती बनी रहे और युवको में धर्म के संस्कार जागृत रहे, यही मंगलकामना।
साध्वी जी ने बताया आचार्य श्री तुलसी ने पाँच बोध यथा व्यवहार बोध, संस्कार बोध ,आचार बोध, तेरापंथ प्रबोध,श्रावक संबोध की रचना की। इनमें संस्कार बोध में बहुत सुंदर पद्य कहा है संस्कारों की संपदा, है उत्कृष्ट अमूल्य धन वैभव संसार का, रखता है क्या मूल्य शासन श्री साध्वी सत्यवती ने उपस्थित युवकों को प्रेरणा प्रदान करते हुए बताया कि समता का नाम सामायिक है और व्यक्ति में समता के साथ साथ संस्कारों का होना बहुत ज़रूरी है। भावी पीढ़ी संस्कारवान बने यह भी अपेक्षित है।
व्यवहार में जैनत्व की छवि झलके और जीवन के हर कार्य में संस्कार तो यह मानव जीवन मिलना सफल हो सकता है।युवक परिषद द्वारा अच्छा कार्यक्रम आयोजित हुआ है, आगे और भी विकास करती रहें, यही मंगलकामना।
कार्यक्रम का संचालन महावीर जी चोपड़ा ने किया।
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