गाय गांव स्वावलंबन यात्रा 21 वे दिन जैसा ,सादेरा उद्धेशिया,जाखडवाला गांवों में पहुंची,इन 21दिनों में यात्रा 79 गांवों में जन जागरण हेतु पहुंच चुकी है।
बीकानेर।गाय गांव स्वावलंबन यात्रा 21 वे दिन जैसा ,सादेरा उद्धेशिया,जाखडवाला गांवों में पहुंची,इन 21दिनों में यात्रा 79 गांवों में जन जागरण हेतु पहुंच चुकी है। गांव के मुख्य गुवाड़ में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने संबोधित करते हुए कहा कि देश के अन्य कुछ राज्यों में लंपी से गोलोक सिधारी गायों का मुआवजा दे दिया है। वहां गायों के लिए अलग से कोई मंत्रालय नहीं है जबकि राजस्थान राज्य में गाय मंत्रालय है और कैबिनेट स्तर के मंत्री इसके मुखिया है और अलग से गौ सेवा आयोग भी है जिसमें राज्य स्तर का मंत्री भी है। इतना कुछ होते हुए भी लंपी महामारी ने लाखों की संख्या में गोवंश को काल का ग्रास बना लिया है, फिर भी गौपालकों को मुआवजा नहीं दिया गया। जबकि मंत्रालय के कोष में गौनिधि में 2163 करोड रुपए की राशि सुरक्षित है जो केवल देशी देशी गोवंश के विकास और सरक्षण के लिए ही उपयोग की जा सकती है। गोदारा ने अफसोस और दुख जताते हुए कहा कि किसी भी गौपालक को यह नहीं पता कि देशी गौवंश के लिए ही गोपालन मंत्रालय बना है। यह स्थिति इसलिए किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधि ने यह बात नहीं की है। इससे यह स्पष्ट है राजनीतिक पार्टियां नेताओं को गौहित में कोई रुचि नहीं है। उनका गौप्रेम मात्र दिखावटी है।
प्रदेश संयोजक गोस्वामी शीशपाल गिरी ने कहा कि गांवों में लंपी बीमारी से लगभग 70% दूध कम हो गया है लेकिन व्यापारी बीकानेर से दिल्ली के उपभोक्ताओं तक पूरा दूध द्वारा पहुंचा रही है, वह दूध कहां से आ रहा है? सरकार इस ओर ध्यान दें।पहले से ही रासायनिक खेती से खानपान में बहुत जहर हो गया है। मिलावटी दूध से बच्चों के पोषण के साथ-साथ सभी नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी हानिकारक असर हो रहा है।
यात्रा के आयोजक एडवोकेट विनोद ने कहा कि यात्रा गौसेवा का कार्य एवं गायों के लिए जनजागृति करते हुए गांव गांव जा रही है। लंपी रोग से गौपालकों के बाड़े और खूँटे खाली हो गए है। लंपी रोग से गौवंश को हुए नुकसान की भरपाई व मुआवजा हेतु विशाल प्रदर्शन 5 जनवरी को शिव मंदिर कालू रोड पर होगा।सभी गोपालक जागरूक अधिक से अधिक संख्या में लूणकरणसर पहुंचे गोपालक जागरूक होंगे तो मुआवजा निश्चित मिलेगा और देशी गोवंश का संरक्षण होगा।




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