उन्नीसवें दिन गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा ढाणी पाण्डुसर, अमरपुरा, खोडाला, शेखसर आदि गांवों में लंपी मुआवजा के लिए जनजागृति हेतु पहुँची।
बीकानेर ।उन्नीसवें दिन गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा ढाणी पाण्डुसर, अमरपुरा, खोडाला, शेखसर आदि गांवों में लंपी मुआवजा के लिए जनजागृति हेतु पहुँची।
यात्रा में गौभक्त चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने पांड्डुसर में गोपालको को सम्बोधित करते हुए कहा कि लूणकरणसर क्षेत्र की देशी गौवंश और दुग्ध उत्पादन में अग्रणी भूमिका रही है। दुःख की बात है कि आज लूणकरणसर अपनी यह पहचान खो रहा है। कभी रोजाना लाखों लीटर दूध उत्पादन करने वाले लूणकरणसर के गौपालकों को पूछने वाला कोई नही है। लंपी बीमारी से क्षेत्र अपनी देशी नस्ल की गायें खो चुका है और जिम्मेदार लोग संवेदनहीन होकर बैठे हैं। किसी भी पार्टी के नेता और संगठन ने कोई आवाज उठाने की जरुरत नहीं समझी।
यात्रा के प्रदेश संयोजक गोस्वामी शीशपाल गिरि ने कहा कि पूरे भारत मे एकमात्र राजस्थान प्रदेश में देशी गौवंश के संरक्षण के लिए गौपालन मंत्रालय बना हुआ है, उसके बावजूद भी सबसे ज्यादा यहां गायों की दुर्दशा हो रही है। लंपी से हुए नुकसान का आंकलन तक मंत्रालय ने नही करवाया। स्टाम्प पर सरचार्ज बढ़ा दिया, जनता चुप रही। रजिस्ट्री पर काऊ सेस लगा दिया, सबने सहन किया। लेकिन जनता के इस पैसे पर कुंडली मारकर बैठने नही देंगे, गौपालकों को मुआवजा देना ही होगा।
आयोजक एडवोकेट विनोद आर्य ने कहा कि हम जल्द ही न्यायालय में दावा करेंगे। इस संघर्ष को हर संवैधानिक तरीके से मजबूत करेंगे। गौपालकों को उनका मुआवजा हर हाल में मिलना ही चाहिए।




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