शिविर में नियमित जांच व चिकित्सा की सलाह l
बीकानेर 26 मई। हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर चैप्टर तथा इंटास फाउंडेशन के हीमोफीलिया सहायता परियोजना (एच-पीएपी) के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को शगुन पैलेस परिसर में हीमोफीलिया दवा वितरण, रोगियों व उनके अभिभावकों में इस रोग व उपचार के प्रति जागरूकता तथा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। शिविर में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर व चूरू जिलों के विभिन्न गांव व कस्बों के रोगियों को निःशुल्क इंजेक्शन प्रदान किए गए।मुख्य अतिथि बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ तथा हिमोफिलिया रोग निवारण जागृति अभियान के संरक्षक डॉ.श्याम अग्रवाल ने कहा कि हीमोफीलिया रोग की जटिलताओं व समस्याओं को रोगी व उनके अभिभावकों की जागरूकता, समय पर जांच व उपचार से दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोगी को फिजियोथेरेपिस्ट से शारीरिक व्यायाम करवाने से राहत मिलती है। बच्चों के लिए सबसे अधिक सलाहकार व परिचारिका उसकी मां होती है। माताएं रोगी बच्चों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल करते हुए उनका शारीरिक अभ्यास के साथ हौसला अफजाई कर स्वास्थ्य बेहतर लाभ दिला सकती है। उन्होंने अपने अस्पताल में हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर चैप्टर व इंटास फाउंडेशन के सहयोग से निःशुल्क जांच करवाने व इंजेक्शन आदि लगाने की सुविधाओं की भी जानकारी दी।
हीमोफीलिया रोग का दंश झेल चुके एपेक्स अस्पताल बीकानेर के सीनियर गेस्ट्रो एंड्रोलोजिस्ट डॉ. अनिल खत्री ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि हिमोफिलिया एक वंशानुगत बीमार है। बीमारी से मानव शरीर में रक्त का थक्का जमाने के लिए रक्त में विशेष प्रकार के प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति के कारण खून बहने से रोकने में बाधा उत्पन्न होती है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है और इस बीमारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के अंदर महिला अपने पुत्र को प्रदान करती है। उन्होंने हिमोफिलिया के फैक्टर, लक्षण व उपचार से अवगत करवाते हुए कहा कि समय पर जांच व ईलाज करवाने पर रोगी को राहत मिल सकती है वह सामान्य जीवन जी सकता है। इंटास फाउंडेशन, जयपुर के सूरज, हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर के अध्यक्ष रवि व्यास, सचिव संतोष कुमार ने हिमोफिलिया के उपचार के लिए किए जा रहे सेवा कार्यों यथा रोगी की देखभाल की निरन्तरता, अनुवांशिक सलाह, जांच चिकित्सक सलाह, सरकारी व निजी स्तर पर चिकित्सा की सुविधाओं, सरकार की ओर से हिमोफिलिया रोगी को दिव्यांग श्रेणी में शामिल करने आदि की जानकारी दी। इस अवसर पर रोगियों के प्रश्नों के उत्तर चिकित्सकों व संस्थान के पदाधिकारियों ने दी। श्रीमती अजय हाडा ने रोगी के उत्तम स्वास्थ्य के लिए शारीरिक व्यायाम का, डॉ.श्याम अग्रवाल बाल एवं शिशु अस्पताल के नर्सिंग कर्मी प्रेम व त्रिलोक ने रोगी के इंजेक्शन लगाने के तरीके की प्रायोगिक जानकारी दी।
इस अवसर पर संस्थान की महिला विंग की अपूर्णा शर्मा, तीजा देवी, इंटास फाउंडेशन की काउंसलर देवेश भार्गव,मोनिका गहलोत, तथा हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर चैप्टर के शिव सहित अनेक सेवाभावी पदाधिकारियों व सदस्यों ने फैक्टर वितरण किया। सरकारी कार्मिक ने आर.जी.एच. के तहत हीमोफीलिया रोगी को इंजेक्शन सुलभ करवाने, जांच का शिविर लगाने की मांग रखी। जिस पर संस्था पदाधिकारियों ने सरकार व अपने स्तर पर प्रयास कर रोगियों को राहत पहुंचाने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में भागीदारी निभाने वालों का सम्मान किया गया। पूर्व में संस्था के संस्थापक अशोक वर्मा को पुष्पांजलि दी गई। दवा वितरण, रोगियों व उनके अभिभावकों में इस रोग व उपचार के प्रति जागरूकता तथा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। शिविर में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर व चूरू जिलों के विभिन्न गांव व कस्बों के रोगियों को निःशुल्क इंजेक्शन प्रदान किए गए।
मुख्य अतिथि बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ तथा हीमोफीलिया रोग निवारण जागृति अभियान के संरक्षक डॉ.श्याम अग्रवाल ने कहा कि हीमोफीलिया रोग की जटिलताओं व समस्याओं को रोगी व उनके अभिभावकों की जागरूकता, समय पर जांच व उपचार से दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोगी को फिजियोथेरेपिस्ट से शारीरिक व्यायाम करवाने से राहत मिलती है। बच्चों के लिए सबसे अधिक सलाहकार व परिचारिका उसकी मां होती है। माताएं रोगी बच्चों के स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल करते हुए उनका शारीरिक अभ्यास के साथ हौसला अफजाई कर स्वास्थ्य बेहतर लाभ दिला सकती है। उन्होंने अपने अस्पताल में हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर चैप्टर व इंटास फाउंडेशन के सहयोग से निःशुल्क जांच करवाने व इंजेक्शन आदि लगाने की सुविधाओं की भी जानकारी दी।हीमोफीलिया रोग का दंश झेल चुके एपेक्स अस्पताल बीकानेर के सीनियर गेस्ट्रो एंड्रोलोजिस्ट डॉ. अनिल खत्री ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि हिमोफिलिया एक वंशानुगत बीमार है। बीमारी से मानव शरीर में रक्त का थक्का जमाने के लिए रक्त में विशेष प्रकार के प्रोटीन (फैक्टर) की कमी या अनुपस्थिति के कारण खून बहने से रोकने में बाधा उत्पन्न होती है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है और इस बीमारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के अंदर महिला अपने पुत्र को प्रदान करती है। उन्होंने हिमोफिलिया के फैक्टर, लक्षण व उपचार से अवगत करवाते हुए कहा कि समय पर जांच व ईलाज करवाने पर रोगी को राहत मिल सकती है वह सामान्य जीवन जी सकता है। इंटास फाउंडेशन, जयपुर के सूरज, हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर के अध्यक्ष रवि व्यास, सचिव संतोष कुमार ने हीमोफीलिया के उपचार के लिए किए जा रहे सेवा कार्यों यथा रोगी की देखभाल की निरन्तरता, अनुवांशिक सलाह, जांच चिकित्सक सलाह, सरकारी व निजी स्तर पर चिकित्सा की सुविधाओं, सरकार की ओर से हीमोफीलिया रोगी को दिव्यांग श्रेणी में शामिल करने आदि की जानकारी दी। इस अवसर पर रोगियों के प्रश्नों के उत्तर चिकित्सकों व संस्था के पदाधिकारियों ने दी। श्रीमती अजय हाडा ने रोगी के उत्तम स्वास्थ्य के लिए शारीरिक व्यायाम का, डॉ.श्याम अग्रवाल बाल एवं शिशु अस्पताल के नर्सिंग कर्मी प्रेम व त्रिलोक ने रोगी के इंजेक्शन लगाने के तरीके की प्रायोगिक जानकारी दी।
इस अवसर पर संस्थान की महिला विंग की अपूर्णा शर्मा, तीजा देवी, इंटास फाउंडेशन की काउंसलर देवेश भार्गव,मोनिका गहलोत, तथा हिमोफिलिया सोसायटी बीकानेर चैप्टर के शिव सहित अनेक सेवाभावी पदाधिकारियों व सदस्यों ने फैक्टर वितरण किया। सरकारी कार्मिक ने आर.जी.एच. के तहत हीमोफीलिया रोगी को इंजेक्शन सुलभ करवाने, जांच का शिविर लगाने की मांग रखी। जिस पर संस्था पदाधिकारियों ने सरकार व अपने स्तर पर प्रयास कर रोगियों को राहत पहुंचाने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में भागीदारी निभाने वालों का सम्मान किया गया। पूर्व में संस्था के संस्थापक अशोक वर्मा को पुष्पांजलि दी गई।
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