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श्री गुरु अर्जुन दास जी के द्वारा अपने पिताजी व संस्था के महासचिव स्वर्गीय श्री चानन राम छाबड़ा के श्राद्ध तिथि पर श्राद्ध पूजा व ब्राह्मण को भोजन करवाया गया।

श्री गंगानगर।23 सितंबर ।श्री गुरु अर्जुन दास सत्संग भवन के संस्थापक एवं श्री रूद्र हनुमान सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गुरु अर्जुन दास जी द्वारा अपने पिताजी व संस्था के महासचिव स्वर्गीय श्री चानन राम छाबड़ा के श्राद्ध तिथि पर श्राद्ध पूजा व ब्राह्मण को भोजन करवाया गया। इस उपलक्ष में धर्मसंघ संस्कृत महाविद्यालय में सभी पंडित शास्त्री बनने के लिए शिक्षा दीक्षा पुरी कर रहे सभी 120 के लगभग ब्राह्मण कुल के विद्यार्थियों व सभी पदाधिकारियों, स्टाफ शास्त्री, संस्था के उपाध्यक्ष व संरक्षण करता को भोजन करवाया गया व भोजन सामग्री दी गई। भोजन में रोटी-सब्जी, दाल, चावल, सलाद व फलों की चाट (केला,अनार, पपीता, सेब, मोसमी) खिलाई गई। इस अवसर पर ब्रह्माचारी कल्याण स्वरुप, जीतेन्द्र शुक्ला, वेद पाठी शिवशंकर पांडे, आकाश भारतद्वाज, आदेश पाडे और सभी विद्यार्थी मौजूद रहे एवं इसके साथ ही गायों को फलों की स्वामनी दी गई।सत्संग भवन में  607वा लंगर लगाया गया। लंगर में  सेब, हलवा व पुलाव का प्रसाद वितरण किया गया। समिति द्वारा सेवाएं श्री गुरु अर्जुन दास, हुक्मी देवी, संगठन मंत्री सतपाल कोर,अनुज मल्होत्रा,पडित नरेश शर्मा, आशा रानी, सुभाष छाबडा, राजेश, अंगी एमडी सतीश, राजरानी, दिया, खुशी, निशा, नवनीत मलोट कमल भुल्लर जस्न कमलजीत विडग, साहिल, देवेंद्र, संजु, जगतार सिंह, सिद्धू, महेंद्र भटेजा व अन्य सदस्यों द्वारा दी गई। सभी ने तन मन से सेवा दी।
श्री गुरु अर्जुन दास जी द्वारा  पिंडदान के बारे में बताया गया और कहां कि "पिंडदान का अर्थ होता है अपने पितरों को भोजन का दान देना। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज के गाय, कुत्ता, कौआं, चींटीया देवताओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकालने का विधान है। पिंडदान के दौरान मृतक के निमित्त जौ या चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकृति वाले पिंड बनाए जाते हैं। इसलिए इसे पिंडदान कहा जाता है। आस्था व कर्म गति धर्म-कर्म की धुरी है ,इस लिए जिते जी धर्म सेवा है उसी में महा स्वर्ग का सुख शांति समृद्धि है । 

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