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अश्व अनुसंधान केंद्र पर हिंदी कार्यशाला एवं हिंदी सप्ताह शुभारंभ डिजिटल दुनिया में बढ़ा हिंदी का प्रयोग ।

बीकानेर।राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर पर आज हिन्दी कार्यशाला का आयोजन एवं हिंदी सप्ताह का शुभारंभ किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता ने हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज की इस डिजिटल दुनिया में हिंदी का महत्त्व पहले से काफी बढ़ा है। आज इन्टरनेट यूजर गूगल और यूट्यूब जैसे अनेकों प्लेटफॉर्म पर हिंदी में कंटेंट की खोज करते है और भारत में 40 प्रतिशत से अधिक लोग इन्टरनेट पर हिंदी में कंटेंट उपभोग करते है। उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि सबसे आसान चीज है आज के समय में, वह है विरोध करना एवं सबसे कठिन कार्य है किसी कार्य को करना । जो लोग हिंदी भाषा का विरोध करते हैं उनकी भाषा अगर 5 प्रतिशत लोग बोलते हैं तो वह यह चाह रहे हैं कि देश के 95% लोग उनकी भाषा सीखें, यह कितना हास्यास्पद है, जबकि हिंदी अब विश्व में तीसरी सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा बन चुकी है ।
इस समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ अनिल कुमार पुनिया ने कहा कि कार्यालय में हिंदी का प्रयोग शत-प्रतिशत होना चाहिए और विज्ञान के क्षेत्र में भी हिंदी का प्रयोग बढ़ाना चाहिए जिससे आम व्यक्ति भी विज्ञान से जुड़ सकें। उन्होंने भारत में हिंदी भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार में सिनेमा और संगीत का महत्वपूर्ण योगदान के बारे में बताया कि सिनेमा और संगीत ने हिंदी को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया और इसे जन-भाषा बनाने में अहम भूमिका निभाई।
कार्यशाला के दौरान मुख्य हिंदी वक्ता श्री प्रेम प्रकाश पारीक, पूर्व मु.तक. अधिकारी, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर ने “कार्यालयीन कार्य में राजभाषा हिंदी का प्रयोग” विषय पर अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक व्याख्यान प्रस्तुत किया । इन्होंने हिंदी भाषा के संदर्भ में संविधान में निहित बातों का उल्लेख करते हुए आज के परिपेक्ष में हम सभी के योगदान को महत्वपूर्ण बताया । उनका मानना था की जब तक हम अपनी राजभाषा हिंदी को इच्छाशक्ति से कार्यालयीन कार्यों में ज्यादा से ज्यादा नहीं अपनाते तब तक इसकी सार्थकता सिद्ध नहीं होगी ।
परिसर की राजभाषा अधिकारी डॉ रत्ना ने हिंदी सप्ताह के दौरान आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी एवं आज शुद्ध -अशुद्ध प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया । कार्यक्रम का संचालन राजभाषा अधिकारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रत्नप्रभा ने किया एवं कार्यक्रम में डॉ लेघा, डॉ रमेश,डॉ राव , डॉ कुट्टी, डॉ जितेन्द्र सिंह एवं केंद्र के अन्य अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।

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