ब्रेकिंग न्यूज़

लड़खड़ाया हुआ लोकतंत्र *संपादक की कलम*

गणतंत्र दिवस का दिन बड़ा ही रोचक होता है देशभक्ति की सीमा चरम पर होती है अगले दिन व्यक्ति अपने सामान्य जीवन में लग जाता है 26 जनवरी देशभक्ति से ओतप्रोत राजपथ की परेड देखने के लिए हर भारतवासी कुछ देर के लिए ही सही दूरदर्शन देखता ज़रूर है साल भर के कुछ चंद दिन ही दूरदर्शन के लिए अच्छी टीआरपी वाले होते हैं जिनमें से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस होता है पर आज बात दूसरी है आज बात है गणतंत्र दिवस के अगले दिन की!
मैं कल अपने ऊर्जा के चरम स्तर पर पहुँच चुका था कि मानो कोई इलेक्ट्रॉन एक्साइटिड स्टेट में पहुँचा हो यह पंक्ति कोई विज्ञान का विद्यार्थी आसानी से समझ जाएगा और आज वापस लौट आया था सुबह-सुबह गणतंत्र दिवस की ख़बर टीवी चैनल्स पर चल रही थी उन्हें देखते हुए परिवार में सब बैठे हुए थे तभी हमेशा एक्साइटिड स्टेट में रहने वाले मेरे दोस्त योगी भाई चिल्लाते हुए आए हाथ में तिरंगा लिए और कहाँ हो लेखक बाबू कहाँ हो कहने लगे!
हमने कहा आ जाइए कमरे में बैठे हैं और लक्ष्य को चाय के लिए बोल दिया मैंने कहा गणतंत्र दिवस बीत गया बंधु आज तिरंगा हाथ में कोई विशेष प्रयोजन उन्होंने कहा यही सोच से दिक्कत है लेखक बाबू क्या आप भी उसी सोच के व्यक्ति हैं जो केवल 2 दिन देशभक्ति का परिचय देते हैं। 
मैं ऐसा नहीं हूँ फिर भी यह मुझे बाहर ज़मीन पर पड़ा मिला क्या यही लोकतंत्र है यही स्वतंत्रता है कहते हुए उनके आंसू छलक आए यह देख हम भी थोड़ा गंभीर हुए और हमने कहा बैठे-बैठे कहिए क्या हुआ तो वह बोले की यह क़ीमत है हमारे तिरंगे की! 
1 दिन को इस इंटरनेट पर अपनी तस्वीरें खींचकर डालने के लिए तिरंगा खरीद लेते हैं और अगले दिन उसकी इज़्ज़त भूल जाते हैं क्या इसके लिए हमें आजादी दिलाई थी हमें लोकतंत्र मिला था इस दिन चाहे स्वतंत्रता दिवस और चाहे गणतंत्र दिवस वह गांधी जी को सब याद करते हैं लेखक बाबू और पूरे वर्ष उन्हें गालियाँ देते हैं उन्हें देश का विभाजनकारी कहते हैं उनके हत्यारे की जगह-जगह पूजा करते हैं यह है भारत का लोकतंत्र शायद लड़खड़ा रहा है!
मैं आप जितना पढ़ा लिखा तो नहीं हूँ परंतु सत्य ही है शायद कि लोकतंत्र का मतलब है जनता का शासन जनता के शासन के इस देश में पिछले 2 वर्ष तक किसानों को गंभीर महामारी के दौरान अपनी मांगों को रखने के लिए देश की राजधानी में नहीं घुसने दिया यह घटना लोकतंत्र की परिभाषा को खंडित कर रही थी वह और हमें काफ़ी दिन से कचोट रही थी एक व्यक्ति आता है कानून लागू कर देता है और दूसरे दिन आता है [डेढ़ साल बाद] माफी मांग कर कानून हटा देता है और मीडिया दोनों ही कदमों को ऐतिहासिक बताता है। 
मीडिया तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है ना लेखक बाबू क्या वह भी बह गया है इस बारे में लेखक बाबू बुरा ना माने एक बात कहता हूँ हमारा मीडिया विज्ञापन एजेंसी की तरह कार्य कर रहा है हमेशा हंसी मज़ाक वाली बातें करते हुए योगी भाई के चरित्र को मैंने देखा था आज अचानक वह रूप देखने को मिला जो मैं देख कर आश्चर्यचकित था बातें तो कहीं ना कहीं उनकी सही थी किसानों को तो नहीं घुसने दिया था दिल्ली में मीडिया भी व्यक्तित्व निर्माण कि एड एजेंसी की तरह ही काम कर रहा है
 मैंने उन्हें शांत करने की कोशिश की इसी बीच भतीजा लक्ष्य चाय ले आया साथ में नाश्ता भी चाय को कभी मना ना करने वाले योगी भाई ने आज चाय को भी मना कर दिया यह देखकर तो मैं और अचंभित हो गया और उन्हें कहा शांत हो जाइए योगी भैया चाय लीजिए यह देश ऐतिहासिक है यह लोकतंत्र ऐतिहासिक है आप चिंता मत करिए लोकतंत्र लड़खड़ाया ज़रूर है परंतु खड़ा होना जानता है यह लोकतंत्र भूतकाल में इमरजेंसी जैसे भयानक दौर से गुजर चुका है। 
हमारी न्यायपालिका इस लोकतंत्र को मज़बूत करती है और सजग प्रहरी के रूप में कार्य करती हैं वह इसे ढहने तो ना देगी यह लड़खड़ाया तो है परंतु उठ खड़ा होगा तपाक से योगी भाई बोले जैसा कि उनका स्वभाव था कि तानाशाही लोकतंत्र से ही आती है लेखक बाबू हिटलर भी लोकतंत्र से ही तानाशाह बना था। 
क्या कोई देश का प्रधानमंत्री 8 साल में बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस के बिना प्रेस के सवालों के जवाब दिए कार्य कर सकता है पर कर सकता है यह असंभव कार्य दिखा दिया है गद्दी पर बैठे प्रधानमंत्री जी ने बिना एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस किए 8 साल बिता दिए और किसी को अजीब भी नहीं लगता जब भी आते हैं वन वे इंटरेक्शन होता है हमने उनका मूड ठीक करने के लिए कहा आज तो अंग्रेज़ी वन वे इंटरेक्शन क्या बात है तो योगी भाई मुस्कुराते हुए बोले कि हम ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं परंतु जितना पढ़े हैं मानक पढ़े हैं हमारी डिग्री पर सवाल नहीं है
 लेखक बाबू उनकी मुस्कान में भी व्यंग था हमने कहा लोकतंत्र की मालिक जनता होती है ज़रूर वह अपना महत्त्व समझेगी और लोकतंत्र को मज़बूत करेगी तो तपाक से बोले की लोकतंत्र में नेता ख़ुद को राजा समझने लग गया है कैसे ठीक करोगे मैं और तुम और आईटी सेल की लाखों की भीड़ मोबाइल का चकाचौंध
और उसमें एक गंगा स्नान के लिए 6 करोड का ख़र्चा बिना कैमरे कोई कार्य नहीं बीते दिनों टेलीप्रॉन्पटर वाला किस्सा आपने सुना ही होगा आज पहली बार हम चुप थे आज हमारे पास कोई भी समाधान नहीं था उनकी समस्या बहुत बड़ी थी और यह केवल उनकी नहीं हम सब की समस्या है और उन शंका का समाधान सिर्फ़ आप लोगों के पास है और आप में शासन और शासक दोनों आते हैं शासन के प्रतिनिधि से भी मैं निवेदन करता हूँ की जनता की सुनिए वरना जनता आपको नहीं सुनेगा
और मैं शासक से भी निवेदन करता हूँ कि आप में इतनी शक्ति है कि आप देश के सबसे बड़े लोकतंत्र महोत्सव का हिस्सा हर 5 वर्षों में बनते हैं उसको महोत्सव की तरह मनाइए और देश के ध्वज का सम्मान करना सीखें बंधु सड़कों पर फैंकने के लिए आजादी नहीं मिली थी हमें
हमें आजादी मिली थी यह लोकतंत्र मिला था हजारों लाखों लोगों की शहादत पर यह लोकतंत्र की ही खूबसूरती है कि आजादी के सबसे बड़े नेता के हत्यारे की भी पूजा की जा सकती है इस लोकतंत्र को मिटने ना दें जय जय

7 comments: