गौ शक्ति पीठ, आम्बासर बीकानेर द्वारा संचालित गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा ने तहसील स्तरीय ज्ञापन और प्रदर्शन करने के बाद अब जिला मुख्यालय पर ज्ञापन और प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।
बीकानेर।गौ शक्ति पीठ, आम्बासर बीकानेर द्वारा संचालित गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा ने तहसील स्तरीय ज्ञापन और प्रदर्शन करने के बाद अब जिला मुख्यालय पर ज्ञापन और प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। यात्रा के प्रदेश संयोजक गोस्वामी शिशपाल गिरि ने बताया की सभी तहसीलों के गांवों में जनजागरण हेतु जाने पर लोगों के सहयोग और सुझावों को ध्यान में रखते हुए अब जिला मुख्यालय पर ज्ञापन और प्रदर्शन का योजना के तहत 13 फरवरी को जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री महोदय और प्रधानमंत्री महोदय को ज्ञापन सौंपकर लंपी से मरी गायों के मुआवजे और गौशाला की तर्ज पर सीधे गौपालकों को अनुदान देने की मांग की जाएगी।13 फरवरी को सभी गौपालक और गौसेवी संगठन तथा गौभक्त मिलकर जिला कलेक्टर कार्यालय के आगे प्रदर्शन करके ज्ञापन सौंपेगे।इसी कडी में आज कुचौर, सींथल, मूण्डसर,उदयरामसर आदि गांवो में जन संपर्क किया।
गौ शक्ति पीठ, आम्बासर के संचालक एवं महामहिम राष्ट्रपति से सम्मानित वैद्य श्रवण सिंह राठौड़ ने गांवों में आज ग्रामीणों एवं गौपालकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप सभी ईश्वर की संतान हैं। इस जीवन मे आपको धर्म की भक्ति करते हुए कर्म करना चाहिए। गाय की सेवा करना हमारा धर्म भी है और कर्त्तव्य भी है। गाय और आयुर्वेद के लिए गौ शक्ति पीठ, आम्बासर सतत प्रयत्नशील है। ईश्वर ने आप और हमें जो सामर्थ्य दिया है उसी सामर्थ्य से हमें गायों, गौपालकों एवं गांवों की सेवा करनी है।
यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने कहा कि पूरी दुनिया का भारतवर्ष हमेशा से आध्यात्मिक प्रेरक रहा है। भारत के लोग आध्यात्मिक रूप से सदैव अग्रणी रहे हैं। बदलते आर्थिक युग में भी सनातन सदैव शाश्वत ही रहा है। बहुत सी शक्तियों ने विज्ञान का दुरुपयोग करके प्रकृति, जीव और प्राणिमात्र को प्रयोग का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सभी गौपालकों को वैदिक ग्रन्थों का अध्ययन प्रारंभ करना चाहिए और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। सभी बुरी शक्तियों ने हमारे धर्म ग्रन्थों का अध्ययन करके ही नए नए आविष्कार किये हैं जबकि हमने अपने धर्मग्रंथों का स्वाध्याय छोड़ दिया। हमारे पिछड़ेपन और शोषण इसी अज्ञानता के कारण हो रहा है। आज ही वैदिक ग्रन्थों को खरीदो और पढो। एकमात्र यही एक मार्ग जिससे हम आगे बढ़ सकते हैं।
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