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पीबीएम अस्पताल : अन्तररार्ष्ट्रीय सोरायसिस दिवस पर चर्म रोग विभाग में जागरुकता अभियान आयोजित।

बीकानेर। चर्म रोग विभाग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सोरायसिस दिवस के अवसर पर आम जनता में सोरायसिस बीमारी के प्रति जागरुकता बढ़ाने हेतु विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. बी.सी. घीया ने सोरायसिस से जुड़ी विभिन्न भ्रांतियों, कारणों एवं निवारण के उपायों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सोरायसिस एक आनुवांशिक प्रतिरक्षा तंत्र की खराबी से होने वाली त्वचा की बीमारी है, जिसमें त्वचा की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं, जिससे लाल पपड़ीयुक्त चकत्ते, सिर पर रुसी जैसी पपड़ी, नाखूनों एवं जोड़ों में प्रभाव पड़ता है। 
डॉ. घीया ने स्पष्ट किया कि सोरायसिस छूआछूत की बीमारी नहीं है, यह कैंसर या कुष्ठ रोग की श्रेणी में नहीं आती तथा साधारण दवाओं से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने सलाह दी कि रोग से घबराएं नहीं, तुरंत चर्म रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। सर्दियों में यह रोग बढ़ जाता है, इसलिए सावधानी बरतें। सोरायसिस को नियंत्रित करने के लिए धूम्रपान, मदिरापान एवं तम्बाकू से बचें, वजन नियंत्रित रखें, अनियंत्रित डायबिटीज एवं हाई ब्लड प्रेशर का समय पर इलाज करवाएं, मानसिक तनाव कम करने हेतु नियमित व्यायाम एवं योग करें, तला-भुना खाने से परहेज करें, संतुलित आहार अपनाएं तथा बिना सलाह के स्टीरॉइड या घरेलू नुस्खे न लगाएं।
उपचार के संबंध में डॉ. घीया ने बताया कि सामान्यतः नारियल तेल, मॉइस्चराइजर, वैसलीन, त्वचा पर लगाने वाले स्टीरॉइड, कोल-तार, कैल्सिपोट्रायोल, एंथ्रलिन एवं बपू का उपयोग किया जाता है। गंभीर मामलों में मिथोट्रेक्सेट, साइक्लोस्पोरिन, बायोलॉजिकल एवं पूवा थेरेपी दी जाती है, लेकिन ये हमेशा चर्म रोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही लें। उन्होंने चेतावनी दी कि सोरायसिस को जड़ से खत्म करने के चक्कर में नीम हकीमों से दूर रहें। 
कार्यक्रम में सोरायसिस संबंधित जानकारी हेतु पेम्पलेट्स का वितरण शुरू किया गया, जो रोजाना चर्म रोग मरीजों को दिए जाएंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ आचार्य डॉ. आर.डी. मेहता, आचार्य डॉ. प्रसून सोनी एवं विभाग के सभी रेजीडेंट चिकित्सक उपस्थित रहे।
प्राचार्य डॉ. सुरेंद्र कुमार ने कहा की इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा ने कहा की "सोरायसिस जैसी बीमारियां समाज में भ्रांतियों का शिकार होती हैं, जो मरीजों को मानसिक पीड़ा देती हैं। यह अभियान जागरुकता फैलाकर न केवल रोग नियंत्रण में मदद करेगा, बल्कि मरीजों को आत्मविश्वास प्रदान करेगा। चर्म रोग विभाग की यह पहल सराहनीय है.

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