बालोतरामाँ के चरणों में पूरे ब्रह्मांड की शक्ति विद्यमान : मुनि मोहजीत
यह उद्धबोधन आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री मोहजीत कुमार जी ने आज विशेष प्रवचन श्रृंखला के तहत *मां* विषय पर विशाल जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए अमृत सभागार, न्यू तेरापंथ भवन में फरमाये।
मुनिश्री ने कहा कि माँ के चरणों में पूरे ब्रह्मांड की शक्ति विद्यमान हैं। उनके पैरों के नीचे की मिट्टी स्वर्ग की मिट्टी के समान है। माँ एक पूर्ण शब्द है, अकट्य गंथ हैं, ममता का महाकाव्य है। मां ममता की मूरत है, समता की सूरत है, त्याग की प्रतिमूर्ति है। आकाश का कोई ओर-शोर नही है, वैसे ही माँ की महिमा का अन्त नहीं है, वह अपार है, अमाप्य है। माँ एक विश्वविद्यालय है। विश्व के सभी ग्रंथ और धर्म में मां की महिमा गाई गई है।
मां की महिमा और त्याग अद्भुत, अद्वितीय, अप्रतिम है । हमें हर संभव मां के प्रति प्रेम और स्नेह का भाव रखना चाहिए। उसकी हर बात का सम्मान करना चाइये। माँ के प्रति सदैव कृतज्ञता का भाव रखें । माँ को शरीर और मन से सदैव साता रहे इस दिशा में अपना प्रयास करना चाहिए। मुनिश्री भव्यकुमारजी ने भी इस अवसर पर विशेष उद्धबोधन दिया। इंसान अपनी पूरी जिंदगी में अपनी माँ के लिए कुछ भी कर ले तो भी उसका कर्ज चुकाया नही जा सकता।
इस अवसर पर मुनिश्री जयेश कुमार जी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए बताया कि जब माँ अपने बच्चों को अपने हाथ से खाना खिलाती है तब स्वयं का मुंह भी खोल लेती है। बच्चे की भूख को शांत करते समय स्वयं भी उसे देखकर तृप्त हो जाती है। माँ दया,करुणा, संयम,सहनशीलता, क्षमा और विनम्रता की धनी होती है।
तेयुप मीडिया प्रभारी नवीन सालेचा ने बताया कि मुनिश्री के सानिध्य ने विशेष विषयों पर प्रवचन श्रृंखला आयोजित होती है । इस अवसर पर तेरापंथ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजयराज जी गाँधी मेहता, पंच मण्ड़ल सदस्य दिलीप जी सिंघवी, जोधपुर संभाग प्रभारी गौतमचंद जी सालेचा, कार्यसमिति सदस्य धनराज जी ओस्तवाल और बाहुबली जी भंसाली , तेरापंथ सभा महिला मंडल और तेयुप पदाधिकारी के साथ वृहद संख्या में तेरापंथ श्रावक समाज उपस्थित हुआ।
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