गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा आज नोखा के हिम्मटसर,उडसर,थावरिया और झाडेली आदि गांवों में जनजागरण करते हुए पहुँची।
बीकानेर।गाय-गांव स्वावलम्बन यात्रा आज नोखा के हिम्मटसर,उडसर,थावरिया और झाडेली आदि गांवों में जनजागरण करते हुए पहुँची। यात्रा के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी महेंद्र सिंह गोदारा ने झाड़ेली गांव में सम्बोधित करते हुए कहा कि गाय चलता फिरता कारखाना है। लंपी के यह कारखाना बंद होने के कगार पर खडा है ,यदि समय रहते सरकार ने इस ओर ध्यान न दिया तो इस कारगाने से बेरोजगारी इतनी बढ जाएगी कि सरकार सरकार से भी संम्भाले नहीं सम्भल पाएंगे। इसलिए आप सभी गौपालकों को संगठित होकर मुआवजा राशि की मांग करनी चाहिए। लीडरों और नेताओं तक अपनी बात पहुँचाओ, उन्हें अपनी पीड़ा सुनाओ। लीडर या नेता वो बड़ा है जो आपकी समस्या में साथ खड़ा रहकर आपकी आवाज उठाये। अपने अपने लीडरों को बड़ा बनाये रखना चाहते हो तो उनसे अपने जायज जरुरतों की बात कहो। किसी की खोटी चवन्नी चल कर वोट मिल जाये तो भी वो आपके बिना बड़ा लीडर नही हो सकेगा। इसलिए बुलन्द आवाज से लंपी के मुआवजा की मांग करो। यात्रा के प्रदेश संयोजक गोस्वामी शीशपाल गिरि ने कहा कि गाय बचाओ गाय बचाओ नारे लगाने से गाय नही बचने वाली, वर्तमान आर्थिक युग के अनुसार गौपालन के नए तरीके विकसित करने होंगे। महान ग्रन्थ गीता हमारा आदर्श ग्रन्थ है, उसके अनुसार जहाँ पर चुनोतियाँ होती है वहाँ समाधान भी होता है। वर्तमान में गायों को बचाने और पालने में जो भी विघ्न आ रहे हैं उनको पहचान करें, हमने बाधाएं पहचान ली तो उनका समाधान भी निकल आएगा। लंपी महामारी से अच्छी नस्लें और अच्छी दूध वाली गायें गौलोक सिधार गयी है, इसलिये अब गायों के संवर्द्धन की महत्ती आवश्यकता है। घरों में जो गायें थोड़ी बहुत बची है उनके संरक्षण के लिए घरों में जो गौपालकों ने गाये पाल रखी है उनको भी गौशाला की तरह अनुदान दिया जाना प्रारम्भ किया जाना चाहिए।
गौ शक्ति पीठ व यात्रा के संचालक एवं महामहिम राष्ट्रपति से सम्मानित वैद्य श्रवण सिंह राठौड़ ने कहा कि गायों के संरक्षण के लिए यह महाअभियान है। इसके अंतर्गत गौपालकों की पीड़ा और व्यथा का समाधान समय समय पर हो, यही कार्य गौ शक्ति पीठ, आम्बासर कर रही है।
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